ॐ श्री
ऐ स्त्री! तुम ही हो श्री, सृष्टि का तुम हो आधार।
अर्धांगिनी से तुम प्रेमस्वरूपा,
सुखी जीवन का आधार।
माँ से तुम ममतामयी,
पालन-पोषण, श्रद्धा अपार।
ऐ स्त्री! तुम ही हो श्री.......
पुत्री से तुम शक्तिस्वरूपा,
मात-पिता के गर्व का सार।
बहन से तुम स्नेहमयी,
संस्कार का करके श्रृंगार।
ऐ स्त्री! तुम ही हो श्री.......
सृष्टि के कण-कण में जो श्री बहती,
उसी का हो तुम अंशावतार।
ऐ स्त्री! तुम ही हो श्री, सृष्टि का तुम हो आधार।
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सौ:
मेरी कलम से...... लोमेश कुमार
ऐ स्त्री! तुम ही हो श्री, सृष्टि का तुम हो आधार।
अर्धांगिनी से तुम प्रेमस्वरूपा,
सुखी जीवन का आधार।
माँ से तुम ममतामयी,
पालन-पोषण, श्रद्धा अपार।
ऐ स्त्री! तुम ही हो श्री.......
पुत्री से तुम शक्तिस्वरूपा,
मात-पिता के गर्व का सार।
बहन से तुम स्नेहमयी,
संस्कार का करके श्रृंगार।
ऐ स्त्री! तुम ही हो श्री.......
सृष्टि के कण-कण में जो श्री बहती,
उसी का हो तुम अंशावतार।
ऐ स्त्री! तुम ही हो श्री, सृष्टि का तुम हो आधार।
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सौ:
मेरी कलम से...... लोमेश कुमार






