Thursday, 8 March 2018

ऐ स्त्री तुम ही हो श्री...

                     ॐ श्री

ऐ स्त्री! तुम ही हो श्री, सृष्टि का तुम हो आधार।

अर्धांगिनी से तुम प्रेमस्वरूपा, 
सुखी जीवन का आधार।

माँ से तुम ममतामयी, 
पालन-पोषण, श्रद्धा अपार।
ऐ स्त्री! तुम ही हो श्री.......

पुत्री से तुम शक्तिस्वरूपा, 
मात-पिता के गर्व का सार।

बहन से तुम स्नेहमयी, 
संस्कार का करके श्रृंगार।
ऐ स्त्री! तुम ही हो श्री.......

सृष्टि के कण-कण में जो श्री बहती, 
उसी का हो तुम अंशावतार।

ऐ स्त्री! तुम ही हो श्री, सृष्टि का तुम हो आधार।


              ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सौ:

मेरी कलम से...... लोमेश कुमार