कविता का संक्षिप्त विवरण:- कवि लोमेश आज की दुनिया के यथार्थवादी, आशावादी और युवाओं के विचारों से परे अपनी वाणी को एक अलग पहचान देते हुए कहते हैं कि, हे प्रभु जन पर किया तुमने बड़ा उपकार. इस पंक्ति के दो अर्थ निकलते है - एक - शायद, हे प्रभु! यानि हे ईश्वर और दूसरा हे प्रभु जन (शायद किसी व्यक्ति विशेष का नाम हो). इस कविता का भावार्थ यह है कि कवि रात को अपने स्वप्न में मग्न है और देखता है कि चारो तरफ घन-घोर बारिश हो रही है. यह देख कवि काफी खुश है क्योंकि उसके खेतों में पानी के आभाव में फसल सुख रहे हैं. लेकिन संयोग से इतनी तेज बारिश होने के बावजूद भी उसके खेतों में पानी का एक बूंद भी नहीं. मौसम का ये नजारा और प्रकृति का यह कहर देख कवि दुखी होता है और स्वप्न में ही सो जाता है. लेकिन जब दूसरे दिन उसकी आँख खुलती है तो देखता है कि सभी किसानों के फसल बर्बाद हो चुके थे क्योंकि उनकी खेतों में जरुरत से ज्यादा पानी लग चुका था. कवि यह देख दुखी होता है लेकिन उसे यह देख कर ख़ुशी होती है कि उसके खेतों में आवश्यता अनुसार पानी लगा हुआ है, जिसकी उसे सख्त जरूरत थी. आखिर फसल एक दिन पक जाते हैं और सभी किसानों से अच्छी पैदावार कवि के खेतों की होती है. कवि ने अपनी कविता में शुद्ध अवधी, ब्रज और अंगिका भाषा का प्रयोग किया है. जो कि दूसरों के लिए समझना थोड़ा कठिन होगा लेकिन दो चार बार आप ध्यान से पढेंगे तो आपको इसमें बहुत सी खामियां और नुख्स मिल जायेंगे, लेकिन कवि की कविता १००% शुद्ध और सही है. धन्याद दोस्तों - अगर आपको कविता पसंद आए या आपके कुछ सुझाव हो तो आप बेझिझक कमेन्ट कर सकते हैं. - कवि लोमेश की जय हो!
hi
ReplyDeleteHi Lomesh, I think In your poem some words, some sign and symbols and wrong. Pls check and update it.
ReplyDeleteKa ho Bhaiya Lomesh, AApan kavita ke line mein javn galti baate okra ke kahey nahikha sudharat.
ReplyDeleteकविता का संक्षिप्त विवरण:- कवि लोमेश आज की दुनिया के यथार्थवादी, आशावादी और युवाओं के विचारों से परे अपनी वाणी को एक अलग पहचान देते हुए कहते हैं कि, हे प्रभु जन पर किया तुमने बड़ा उपकार. इस पंक्ति के दो अर्थ निकलते है - एक - शायद, हे प्रभु! यानि हे ईश्वर और दूसरा हे प्रभु जन (शायद किसी व्यक्ति विशेष का नाम हो). इस कविता का भावार्थ यह है कि कवि रात को अपने स्वप्न में मग्न है और देखता है कि चारो तरफ घन-घोर बारिश हो रही है. यह देख कवि काफी खुश है क्योंकि उसके खेतों में पानी के आभाव में फसल सुख रहे हैं. लेकिन संयोग से इतनी तेज बारिश होने के बावजूद भी उसके खेतों में पानी का एक बूंद भी नहीं. मौसम का ये नजारा और प्रकृति का यह कहर देख कवि दुखी होता है और स्वप्न में ही सो जाता है. लेकिन जब दूसरे दिन उसकी आँख खुलती है तो देखता है कि सभी किसानों के फसल बर्बाद हो चुके थे क्योंकि उनकी खेतों में जरुरत से ज्यादा पानी लग चुका था. कवि यह देख दुखी होता है लेकिन उसे यह देख कर ख़ुशी होती है कि उसके खेतों में आवश्यता अनुसार पानी लगा हुआ है, जिसकी उसे सख्त जरूरत थी. आखिर फसल एक दिन पक जाते हैं और सभी किसानों से अच्छी पैदावार कवि के खेतों की होती है. कवि ने अपनी कविता में शुद्ध अवधी, ब्रज और अंगिका भाषा का प्रयोग किया है. जो कि दूसरों के लिए समझना थोड़ा कठिन होगा लेकिन दो चार बार आप ध्यान से पढेंगे तो आपको इसमें बहुत सी खामियां और नुख्स मिल जायेंगे, लेकिन कवि की कविता १००% शुद्ध और सही है. धन्याद दोस्तों - अगर आपको कविता पसंद आए या आपके कुछ सुझाव हो तो आप बेझिझक कमेन्ट कर सकते हैं. - कवि लोमेश की जय हो!
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